Posts

Showing posts from August, 2020

वैधनाथ ज्योतिर्लिंग - मंदिर से जुड़े तथ्य , पौराणिक कथा , मान्यताएँ और माहात्म्य।

Image
                        १२ ज्योतिर्लिंगों  में से एक  वैधनाथ ज्योतिर्लिंग पूर्वीय क्षेत्र में एक सिद्ध पीठ माना जाता हे।  यह मंदिर झारखंड के संथाल परगना क्षेत्र में देवघर नाम के स्थान पर आया हुआ हे।  वैधनाथ ज्योतिर्लिंग के बारे में ऐसा कहा जाता हे की , वहा दर्शन और पूजा-अर्चना करने वाले भक्तो की सारी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हे - इसीलिए इस ज्योतिर्लिंग को ''कामना लिंग'' भी कहा जाता हे। शास्त्रों के अनुसार , यहाँ पर वैधनाथ बाबा यानि की भगवान शिव जी का वास होने के कारण इस जगह का नाम देवघर पड़ा था।  वैधनाथ ज्योतिर्लिंग को बाबा बैधनाथ धाम या वैजनाथ ज्योतिर्लिंग के नाम से भी पूजा जाता हे।                      वैधनाथ ज्योतिर्लिंग के प्रागट्य की कथा त्रेतायुग से जुडी हुयी हे , जिसका निमित्त लंकापति रावण थे।  पूर्वकाल में राक्षसराज रावण ने शिव को प्रसन्न करने के लिए भगवान शिव की आराधना  की, पर रावण की कई वर्षो की आराधना से भी भगवान शिव प्रसन्न नहीं हुए।  रावण ने शिवजी के दर्शन पाने के हेतु एक बार फिर से घोर तपस्या का आरंभ किया।  इस बार अपनी कठिन तपस्या के चलते रावण ने ए

त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग - मंदिर से जुड़े तथ्य , पौराणिक कथा, माहात्म्य और त्यौहार।

Image
                   त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर महाराष्ट्र के प्रमुख मंदिरो में से एक हे , साथ ही इस मंदिर की गिनती भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में भी होती हे।  नाम को सार्थक करते हुए यहाँ पर त्र्यंबक (तीन नेत्र वाले ) ईश्वर - ब्रम्हा , विष्णु और शिव के दर्शन होते हे, ये भारत का एकमात्र ऐसा शिव मंदिर हे जहा त्रिदेव साथ में बिराजमान हे।  यह ज्योतिर्लिंग नासिक से ३५ किलोमीटर की दूरी पर गोदावरी नदी के किनारे पर बना हुआ हे।  मंदिर के पास में ही ब्रम्हगिरी पर्वत हे जो की गोदावरी नदी का उद्गम स्थान भी हे।  इस ज्योतिर्लिंग के प्रागट्य का इतिहास महर्षि गौतम और गोदावरी नदी के साथ जुड़ा हुआ हे।                      पौराणिक कथा के अनुसार , महर्षि गौतम अपनी पत्नी और कुछ अन्य ब्राम्हण परिवार के साथ तपोवन में रहते थे।  एक दिन किसी बार पर ऋषिपत्नी अहिल्या से अन्य ब्राम्हण पत्नियाँ नाराज हो गयी , और उन्होंने अपने पतियों को ऋषि गौतम का अपमान करने को कहा।  इसके बाद सभी ब्राम्हणो ने प्रथमपूज्य गणेशजी की आराधना करने लगे।  ब्राम्हणो की पूजा - अर्चना से गणेशजी प्रसन्न हुए और उनसे वरदान म

विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग - प्रागट्य , पौराणिक कथा, मंदिर वास्तुकला और माहात्म्य।

Image
                   शिव की पावन नगरी काशी में बसा विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग १२ ज्योतिर्लिंग सर्वाधिक महत्व धराता हे। इस मंदिर का महिमा इतना हे की मंदिर के नाम से ही इस बनारस या वाराणसी नगर को ''काशी विश्वनाथ'' कहा जाता हे।  गंगा के पश्चिमी तट पर बने इस मंदिर के बारे में कहा जाता हे  अगर कोई व्यक्ति गंगा में स्नान कर, इस ज्योतिर्लिंग के  तो उसे मोक्ष की प्राप्ति होती हे।  शास्त्रों में ऐसा भी कहा जाता हे की जितना पुण्य बाकि के ज्योतिर्लिंगों के पुजन-अर्चन से मिलता हे उतना ही पुण्य इस मोक्षदायिनी मंदिर में दर्शनमात्र से  मिलता हे।  विश्वनाथ मंदिर का महिमा इतना हे की यहाँ पर भगवान की तरह पूजे जाने  महापुरुष भी दर्शन के लिए आ चुके हे जैसे की - महाराष्ट्र के महान संत श्री एकनाथजी , रामकृष्ण परमहंस , स्वामी विवेकानंद , गोस्वामी तुलसीदासजी , महाऋषि दयानंदजी , आदिगुरु शंकराचार्य और ऐसे तो अनेक।  वर्तमान समय में भी भारत को नयी दिशा देने वाले प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी  मंदिर  बाद ही किसी शुभ कार्य का आरंभ  करते हे।                      दुनिया का प्राचीनतम शहर, देश का

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग - प्रागट्य ,पौराणिक कथा , माहात्म्य और मंदिर वास्तुकला !

Image
                   १२ ज्योतिर्लिंगों में से छठ्ठे स्थान पर हे महाराष्ट्र का भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग।  यह ज्योतिर्लिंग पुणे से लगभग ११० किमी दूर भीमा नदी के तट पर पश्चिमघाट के सह्याद्रि पर्वत पर स्थित हे।  इस ज्योतिर्लिंग के  माहात्म्य में ऐसा कहा  जाता हे की अगर कोई व्यक्ति प्रतिदिन सूर्योदय के बाद  द्धादश ज्योतिर्लिंगं स्त्रोत्र का पठन करते हुए  शिवलिंग का पूजन करता  हे , तो उसके सारे पाप धूल जाते हे और उसके लिए स्वर्ग के द्धार खुल  जाते हे। इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग काफी बड़ा और विशाल कद का हे, इसलिए  यह मंदिर मोटेश्वर महादेव के नाम से भी प्रचलित हे।                      शिवपुराण के अनुसार भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के प्रागट्य की  कथा त्रेतायुग से जुडी हुयी हे।  पूर्वकाल में रावण के भाई कुम्भकर्ण को पर्वत पर रहने वाली कर्कटी नाम की महिला मिली थी , उस पर्वतकन्या को देखकर कुम्भकर्ण मोहित हो गया।  इसी प्रेम के चलते कुम्भकर्ण   और कर्कटी ने विवाह कर लिया , विवाह के बाद कुम्भकर्ण लंका चले गए पर कर्कटी वही उस पर्वत पर रहती थी।  लंकाविजय के दौरान कुम्भकर्ण का भगवान श्रीराम के हाथो व

केदारनाथ ज्योतिर्लिंग - मंदिर , पौराणिक कथाएं , माहात्म्य और ऐतिहासिक घटनाएं ।

Image
            लाखो शिवभक्त जिस मंदिर की यात्रा की कामना करते हे वो हे हिमालय की बर्फीली वादियों में बसे  उत्तराखंड का केदारनाथ धाम।  केदारनाथ धाम १२ ज्योतिर्लिंगों में शामिल होने के साथ साथ पवित्र चार धाम और पांच केदार में भी गिना जाता हे।   केदारनाथ मंदिर एक मात्र ऐसा ज्योतिर्लिंग हे वो केवल छह माह के लिए दर्शनार्थीओ के लिए खुलता हे , जिसका कारन हिमालय क्षेत्र की प्रतिकूल जलवायु हे।  किन्तु , श्रद्धालु इन छह माह में अपने केदारनाथ बाबा के दर्शन के लिए लाखो की संख्या में पहुँचते हे।  भले ही लोग केदारनाथ यात्रा अपनी शिव भक्ति से प्रेरित होकर करते हे , पर यहाँ की नैसर्गिक सौंदर्यता उनके मन मोह लेती हे।                      केदारनाथ मंदिर अपने चारो तरफ प्राकृतिक सुंदरता से गिरा हुआ हे।  इस मंदिर के तीनो ओर हिमालय पर्वतमाला के ऊँचे शिखर हे - केदारनाथ , खर्चकुंड और भरतकुंड।  इतिहास की माने तो इस जगह पर कभी  पांच नदियों का संगम हुआ करता था - मंदाकिनी , मधुगंगा , क्षीरगंगा , सरस्वती और स्वर्णगौरी।  किन्तु वर्तमान समय में केवल मंदाकिनी नदी का अस्तित्व है जो आगे जाकर अलकनंदा नदी में म

ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग - स्वयंभू शिवलिंग का प्रागट्य , पौराणिक कथाएं , मंदिर की वास्तुकला , पूजा पद्धति और मान्यताएँ।

Image
                   मध्यप्रदेश का दूसरा और  शिव के १२ ज्योतिर्लिंगो में शामिल ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग हिंदुओ की अप्रतिम  आस्था का केंद्र हे।  ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग नर्मदा नदी के मध्य में ओमकार पर्वत पर स्थित हे।  यहाँ पर पतितपावनी माँ नर्मदा अपने पानी के बहाव से ''ॐ'' आकार बनाती हे और इस मन्दिरमे शिवलिंग का आकर भी ॐ के  जैसा हे।  शास्त्रों के मुताबिक, हिंदुओ में सभी तीर्थस्थल के दर्शन के बाद ओम्कारेश्वर के दर्शन और पूजन का विशेष महत्व हे।  यहाँ पर आनेवाले तीर्थयात्री  अलग अलग तीर्थो से लाये गए जल से ओम्कारेश्वर में  जलाभिषेक करते हे।  यहाँ पर ममलेश्वर महादेव मंदिर भी हे जिसे ज्योतिर्लिंग के समान दर्जा  दिया  हे, इसका उल्लेख द्वादश ज्योतिर्लिंग में भी  मिलता हे।  यदि वर्षा या बाढ़ के कारन कोई ओम्कारेश्वर नहीं जा सकता तो ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन से उतने ही पुण्य फल की प्राप्ति कर सकता हे।                      ओम्कारेश्वर मंदिर का उल्लेख ऐतिहासिक और पौराणिक कथाओ में मिलता हे।  स्कंदपुराण , शिवपुराण और वायुपुराण में भी इस मंदिर के माहात्म्य का वर्णन किया