जानिए भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग - स्थान , इतिहास और माहात्म्य के बारे में।
सावन का महीना शुरू होते ही त्योहारों के ताते लग जाते हे। एक ख़तम हुआ नहीं की दूसरे त्यौहार की तयारी में लग जाओ... हरियाली तीज , नागपंचमी , छठ , शीतला सातम, जन्माष्टमी, रक्षाबंधन और अनगिनत। हर कोई अपनी परंपरा के अनुसार त्यौहार मनाता हे , पर महीनेभर के लिए शिवमंदिरो में शिवभक्तों की भीड़ लगी रहती हे। सावन के सोमवार के और अमास के दिन तो ये भक्तो की भीड़ अपनी पराकाष्ठा को छू जाती हे। हमारे देश में ऐसे बहुत सारे शिवमंदिर हे जो अपने पौराणिक , ऐतिहासिक या फिर चमत्कारिक महत्व के लिए जाने जाते हे, पर भगवान शिव के १२ ज्योतिर्लिंग का स्थान सर्वोच्च हे।
शिव पुराण की कथा के अनुसार , एक बार भगवान विष्णु और भगवान ब्रम्हा के बीच बहस हुइ की दोनों में सर्वोच्च कौन ? दोनों शिवजी के पास गए , तब भगवान शिव ने एक अनंत ज्योतिस्तंभ की रचना की और उनसे कहा की इस स्तंभ के दोनों छोर कहा हे बताये। तब भगवान विष्णु ने हार मान ली , पर भगवान ब्रम्हा ने अपने ज्ञान को उपा रखते हुए जूठा ही जवाब दे दिया और उसे साबित भी करने लगे। तब भगवान शिव ने उन्हें श्राप दिया की पृथ्वी पर उनकी पूजा नहीं होगी। कहा जाता हे उसी ज्योतिस्तंभ से शिव के इन १२ ज्योतिर्लिंगों का निर्माण हुआ था।
भारतमें शिव के १२ ज्योतिर्लिंग के पीछे अनेक कथाये जुडी हुयी हे। हर रोज इन शिव ज्योतिर्लिंगों के दर्शन के लिए लाखो की संख्या में शिवभक्त दर्शन के लिए आते हे।
१. सोमनाथ ज्योतिर्लिंग , गुजरात।
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग को भगवान के १२ ज्योतिर्लिंगों में से प्रथम ज्योतिर्लिंग माना जाता हे। कहा जाता हे जब दक्ष प्रजापति ने भगवान चंद्र को क्षय रोग होने का श्राप दिया था , तब चंद्र भगवान ने यही पर तप करके अपने श्राप से मुक्ति पायी थी। भगवान चंद्र ने खुद इस शिवलिंग की स्थापना की थी , इसीलिए इसे ''सोमनाथ'' कहा जाता हे। सोमनाथ से थोड़ी ही दुरी पर भालकातीर्थ हे , जहा पर भगवान श्रीकृष्ण ने अपना देहत्याग किया था।
२. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग , आंध्रप्रदेश।
यह ज्योतिर्लिंग कृष्णा नदी के तट पर श्री शैल पर्वत के ऊपर आया हुआ हे। इस पर्वत को हिन्दू पुराणों में कैलास पर्वत के समान महत्व दिया गया हे। शिव पुराण के अनुसार इस मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग शिव और शक्ति का संयुक्त रूप है , मल्लिका यानि देवी पार्वती और अर्जुन यानि शिववाचक। शास्त्रों के अनुसार इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से , व्यक्ति को सारे पापों से मुक्ति मिलती हे।
३. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग ,मध्यप्रदेश।
महाकालेश्वर मंदिर वहा पर की जानेवाली भष्म-आरती के लिए विश्वाभर में विख्यात हे। उज्जैन स्थित ये ज्योतिर्लिंग एकमात्र दक्षिणाभिमुख ज्योतिर्लिंग हे। संस्कृत के महान कवि श्री कालिदास ने अपने महाकाव्य मेघदूत में इस मंदिर की भव्यता का वर्णन किया हे। महाकाल की पूजा विशेष रूप से आयु वृद्धि के लिए की जाती हे। कहा जाता हे अगर आप महाकालेश्वर के दर्शन करने जाये तो , उज्जैन के कोतवाल कालभैरव बाबा के भी दर्शन करने चाहिए वरना यात्रा अधूरी मानी जाती है।
४. ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग , मध्यप्रदेश।
यह ज्योतिर्लिंग इंदौर से कुछ ही दूरी पर नर्मदा नदी के किनारे पहाड़ी पर स्थित हे। नदी के बहाव के कारन पहाड़ी के आसपास ॐ अक्षर की आकृति बनती हे। यहाँ के ज्योतिर्लिंग का आकर भी ॐ जैसा हे, इसी लिए इस शिवलिंग को ओमकारेश्वर ज्योतिर्लिंग कहा जाता हे।
५. केदारनाथ ज्योतिर्लिंग , उत्तराखंड।
भगवान शिव का पांचवा ज्योतिर्लिंग उत्तराखंड में बद्रीनाथ के पास आया केदारनाथ धाम हे। केदारनाथ धाम का उल्लेख शिवपुराण और स्कंदपुराण में भी मिलता हे। कहा जाता हे भगवान शिव को केदारनाथ अत्यंत प्रिय हे इसीलिए , शिव जी ने कैलास पर्वत के सामान महत्व केदारक्षेत्र को भी दिया हे। देवभूमि के चारधाम में गंगोत्री , यमनोत्री और बद्रीनाथ के साथ केदारनाथ का भी समावेश होता हे।
६. भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र।
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग पुणे से कुछ दूर सह्याद्रि पर्वत के पास भीमा नदी के तट पर स्थित हे। इस मंदिर के शिवलिंग के बड़े आकर को देखकर उसे मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता हे। इस मंदिर का इतिहास महाभारत के भीम और रामायण के कुम्भकर्ण के साथ भी जुड़ा हुआ हे। भीमाशंकर के बारे में मान्यता हे की , जो कोई व्यक्ति इस शिवलिंग की पूजा करता हे उसके सात जन्म के पाप धूल जाते हे और उसके लिए स्वर्ग का रास्ता खुल जाता हे।
७. विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग , उत्तरप्रदेश।
यह ज्योतिर्लिंग हिंदुओ की सबसे पवित्र नगरी काशी में स्थित हे। इस मंदिर का महिमा इतना हे की पुरे नगर को ''काशी विश्वनाथ '' कहा जाता हे। भगवान शिव ने काशी को बसाया था , इसी लिए काशी को शिव की नगरी भी कहा जाता हे। गंगा के तट पर बसे इस नगर में देवी का शक्तिपीठ विशालाक्षी मंदिर भी है।
८. त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग , महाराष्ट्र।
ये मंदिर नासिक से कुछ दुरी पर गौतमी नदी के तट पर से , यहाँ से कुछ दूर ही गोदावरी नदी का उद्गम स्थल हे। त्र्यंबकेश्वर यानि की त्रम्बक ईश्वर , जहा तीन देव का वास हे। यहाँ के मंदिर में तीन शिवलिंग के रूप में ब्रम्हा , विष्णु और शिव की पूजा की जाती हे।
९. वैधनाथ ज्योतिर्लिंग , झारखंड।
वैधनाथ ज्योतिर्लिंग , झारखंड के देवघर शहर में हे - जिसका अर्थ ही देवो का घर हे। बाबा वैधनाथ का ये मंदिर एक सिद्ध स्थल हे जहा दूर दूर से लोग ईश्वर का दर्शन करने आते हे। कहा जाता हे , यहाँ पर दर्शन करने वाले की सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हे इसी लिए इस ज्योतिर्लिंग को ''कामना लिंग'' भी कहते हे।
१०. नागेश्वरं ज्योतिर्लिंग , गुजरात।
यह ज्योतिर्लिंग गुजरात के दारूकावन में आया हुआ हे। नागेश्वरं यानि नागो का ईश्वर और भगवान शिव को तो नागदेवता कहा गया हे। नागेश्वरं से द्धारिका नगरी कुछ ही दुरी पर हे, जहा पर कभी श्रीकृष्ण ने नगर बसाया था। इस ज्योतिर्लिंग के माहात्म्य में कहा गया हे की , जो व्यक्ति श्रद्धा और विश्वास से यहाँ दर्शन के लिए आता हे उसकी सारी मनोकामनाए पूर्ण होती हे।
११. रामेश्वरं ज्योतिर्लिंग , तमिलनाडु।
यह ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु के सागर किनारे रामनाथ पुरम नामक स्थल पर हे। पौराणिक कथाओ के अनुसार , इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना भगवान राम ने लंका प्रयाण से पहले किया था। इसी लिए भगवान राम के नाम से इस ज्योतिर्लिंग को रामेश्वरं कहा गया। यह स्थल ज्योतिर्लिंग से साथ साथ हिंदुओ के चार धाम में भी गिना जाता हे।
१२. धृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग , महाराष्ट्र।
यह प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के संभाजीनगर के पास स्थित हे। इस मंदिर को घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग भी कहा जाता हे। एलोरा की गुफाये यहाँ से कुछ ही दुरी पर हे। भगवान शिव के १२ ज्योतिर्लिंगो में से ये अंतिम ज्योतिर्लिंग हे।
अगले अंक में फिर मिलेंगे भगवान शिव के इन १२ ज्योतिर्लिंगों से जुडी पौराणिक कथाओं और कुछ रोचक जानकारीओ के साथ । धन्यवाद।
इस घटना के बारे में नई पीढ़ी बिल्कुल नहीं जानती, उनके लिए ये ब्लॉग काफी अच्छा रहेगा।
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